हीरो हीरालाल - नसीर की धमाचौकड़ी

 हीरो हीरालाल 1988

द्वारा 

केतन मेहता 



फटा पोस्टर, निकला हीरो । बड़ा वाला , धमाचौकड़ी मचाने वाला । 

हैदराबाद में रहने वाला ऑटो ड्राइवर हीरो हीरालाल सपने बड़े देखता है, डरता किसी से नहीं और हँसता जी खोल के है । एक फिल्म यूनिट शूटिंग के लिए आती है जहां पर हीरो को फिल्म की हीरोइन से इश्क हो जाता है- एकतरफा सा गहरा वाला इश्क़ । 

यूनिट रातों रात चंपत हो लेती है । आशिक अपनी माशूका को ढूँढता हुआ बंबई तक आता है । वहाँ आकार दुत्कार पा जाता है तो जीने की इच्छा खत्म हो जाती है । अपनी शर्तों पर जी नहीं सकता तो शान से मरना चाहता है । इसके लिए वह एक तमाशा बेचने वाली मैडम से संपर्क करता है जो सारा इंतज़ाम कर देती है । कहानी का ट्रीटमेंट बहुत कॉमिक है, ये अलग बात है कि सब कुछ अतार्किक सा लगता है । लव स्टोरी बहुत से टेढ़े मेढ़े रास्तों और गड्ढों से होती हुई अंजाम तक पहुँचती है । 

मुख्य नायिका के तौर पर संजना कपूर बहुत ढीली है, साइड एक्ट्रेस दीपा साही ज्यादा सही लगी है ।विलेन किरण कुमार और रोहिणी हत्तंगड़ी ने ठीक ठाक काम किया है । हीरो के मित्र - सईद जाफरी, सतीश शाह और मिस्टर योगी मोहन गोखले बहुत जमे हैं और माहौल बना देते हैं । रही बात नसीरुद्दीन शाह की, तो उनकी ऊर्जा देखते ही बनती है । कॉमिक टाइमिंग से लेकर संवाद अदायगी तक- सब कुछ शानदार है । फिल्म थोड़ी ऑफ बीट है, इसलिए संभवतः चल नहीं सकी । केतन मेहता की यह फिल्म ढाई घंटे में कहीं बोर नहीं करती । हाँ इतना अवश्य है कि फिल्म को बेहतर तरीखे से समेटा जा सकता था ।

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