चौरासी
द्वारा
सत्य व्यास
चौरासी मंजीत छाबड़ा (मनु) और ऋषि की
प्रेम कहानी है । पर इस कहानी के चलते लेखक ने 1984 के सीख-विरोधी दंगों की कहानी भी
सुना दी है ।
दंगा क्यूँ हुआ , किसने किया यह सब जानते हैं । राजनीति क्या कुछ न करवा
दे ? पिस्ता आम आदमी ही है , बड़े लोगों
को कभी समस्या नहीं होती ।
सत्य व्यास ने मासूम मोहब्बत की दास्तां
कहीं है , जिसमे छोटे शहर और कम उम्र
का तड़का भी है , और आगे जाकर भीषण दंगों का उल्लेख भी । यह छोटा
सा उपन्यास पढ़ने में सुगम है , और गुदगुदाता भी है । उर्दू का
प्रयोग ज़रूरत से कुछ ज्यादा ही है , परंतु सत्य ने कभी अपने उर्दू
प्रेम को छिपाया भी नहीं ।
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